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कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार तेज़ी से जारी, हिमाचल में पर्यटकों को जल्द मिलेगा आधुनिक एयरपोर्ट का तोहफ़ा

हिमाचल के पर्यटन राजधानी बने कांगड़ा में अब कई बड़े पर्यटन विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 460 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं। उनका मानना है कि यह परियोजना पूरी होने के बाद आसपास के क्षेत्रों में संपत्ति की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और पर्यटकों की संख्या में भी बड़ा उछाल आएगा।

धर्मशाला में आयोजित एक जनसंपर्क कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने स्थानीय नागरिकों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं। पर्यटन को नई दिशा देने के प्रयासों के बीच राज्य सरकार की सोच के अनुरूप आईटीसी होटल्स ने हिमाचल में 42 कमरों वाली एक बुटीक प्रॉपर्टी शुरू करने की घोषणा की है।
आईटीसी होटल्स के प्रबंध निदेशक अनिल चड्ढा के अनुसार, नई प्रॉपर्टी पहाड़ी क्षेत्र की शांत सुंदरता और स्थानीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है, ताकि मेहमानों को एक विशेष और गहराई से जुड़े अनुभव मिल सकें।

इसी बीच, सीएम सुक्खू ने कहा कि कांगड़ा जिले को प्रदेश की ‘पर्यटन राजधानी’ का दर्जा मिलने के बाद क्षेत्र में कई पर्यटन परियोजनाओं के रास्ते खुल गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की 90% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, इसलिए सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर खास ध्यान दे रही है।

इसी कड़ी में, सरकार ने दुग्ध उत्पादकों के हित में दूध की खरीद कीमत बढ़ाने का फैसला दोहराया। अब गाय के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध का 61 रुपये प्रति लीटर तय किया गया है।

मुख्यमंत्री ने क्षेत्रीय विकास के लिए कई घोषणाएँ भी कीं, जिनमें स्थानीय महिला मंडलों को एक-एक लाख रुपये की अनुदान राशि, रमेड–टांगरोटी लिंक रोड और टांगरोटी रोड के डामरीकरण सहित आसपास के मार्गों में सुधार के लिए आर्थिक सहायता शामिल है।

इसके अलावा, दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों और ट्रांसजेंडर समुदाय के आत्मविश्वास और उत्साह को बढ़ाने के लिए हाल ही में तीन दिवसीय ‘जल तरंग जोश महोत्सव’ आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने फैशन शो और टैलेंट हंट में हिस्सा लिया।
यह कार्यक्रम जिला प्रशासन, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और सहयोगी संगठनों की संयुक्त पहल पर हुआ। सभी प्रतिभागियों ने साझा रूप से यह संदेश दिया कि “विकलांगता शरीर में नहीं, बल्कि सोच में होती है।”

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