वरिष्ठ बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार सुबह मुंबई में 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। करीब एक महीने से अस्वस्थ चल रहे धर्मेंद्र का आज अंतिम संस्कार कर दिया गया। आने वाले 8 दिसंबर को वह 90 वर्ष के होने वाले थे।
अक्टूबर में सांस लेने में तकलीफ़ के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी टीम ने बताया था कि वह ठीक हैं और विस्तृत स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल में रुकने का फैसला उन्होंने खुद लिया था। इसी वर्ष उनकी आंखों का कॉर्निया प्रत्यारोपण भी हुआ था।
एक साधारण गांव से बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ तक
पंजाब के लुधियाना जिले के साहनेवाल गांव में 1935 में जन्मे धर्मेंद्र देओल ने फिल्मों में आने का फैसला तब किया, जब उन्होंने एक फिल्म मैगज़ीन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय टैलेंट कॉन्टेस्ट जीता। 1960 में दिल भी तेरा हम भी तेरे से उन्होंने हिंदी फिल्मों में कदम रखा, हालांकि शुरुआती सफलता उन्हें अगले वर्ष शोला और शबनम से मिली। इसके बाद अनपढ़ (1962) और बिमल रॉय की बंदिनी (1963) जैसी फिल्मों ने उन्हें पहचान दिलाई।
अपने हैंडसम व्यक्तित्व और सधी हुई अभिनय शैली के लिए मशहूर धर्मेंद्र को फूल और पत्थर से एक्शन हीरो की छवि मिली और उन्हें ‘ही-मैन ऑफ़ बॉलीवुड’ कहा जाने लगा। 1970 के दशक में उन्होंने जीवन मृत्यु, गुड्डी, यादों की बारात, प्रतिज्ञा, चुपके चुपके, शोले, धर्मवीर, सीता और गीता, द बर्निंग ट्रेन जैसी कई यादगार फ़िल्मों में काम किया। शोले में ‘वीरू’ का उनका किरदार आज भी अमर है।
धर्मेंद्र का व्यक्तिगत जीवन
तुम हसीन मैं जवान के दौरान धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की जोड़ी ने ऑन-स्क्रीन जादू बिखेरा। समय के साथ दोनों के बीच प्रेम पनपने लगा, जबकि उस समय धर्मेंद्र अपनी पहली पत्नी प्रकाश कौर और चार बच्चों—सनी, बॉबी, अजीता और विजेता—के साथ थे। परिवारों की असहमति के बावजूद दोनों ने शादी की और बाद में उन्हें दो बेटियां—ईशा और अहाना—हुईं।
हालांकि वह हेमा के साथ विवाह के बाद भी प्रकाश कौर और अपने बड़े परिवार के साथ रहते थे, जबकि हेमा मालिनी पास ही रहती थीं। वर्षों से परिवार में मनमुटाव की अटकलें लगती रहीं, लेकिन सार्वजनिक रूप से सभी एकजुट दिखने की कोशिश करते रहे।
फिल्मी सफर की आखिरी कड़ी
करियर के उत्तरार्ध में धर्मेंद्र ने लाइफ इन ए… मेट्रो, जॉनी गद्दार, अपने, यमला पगला दीवाना, रॉकी और रानी की प्रेम कहानी और तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया जैसी फिल्मों में अहम भूमिकाएँ निभाईं। उनकी आने वाली फिल्म इक्कीस, जिसमें वह अगस्त्य नंदा के साथ नज़र आएंगे, दिसंबर में रिलीज़ होगी।
1983 में उन्होंने विजेता फिल्म्स की स्थापना की और इसी बैनर के तहत अपने बेटे सनी देओल को बेताब से लॉन्च किया। इसी बैनर ने घायल, बरसात और सोचा ना था जैसी फिल्में भी बनाई। घायल के लिए धर्मेंद्र को राष्ट्रीय पुरस्कार ‘सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म’ श्रेणी में मिला था। 2012 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
राजनीति से फिल्म तक—हर क्षेत्र में प्रभाव
2004 में धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर से लोकसभा चुनाव जीता और 2009 तक सांसद रहे। इसके बाद उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली, हालांकि हेमा मालिनी आज भी सांसद हैं और सनी देओल ने भी राजनीतिक सक्रियता दिखाई है।
धर्मेंद्र अपने पीछे एक बड़ा परिवार छोड़ गए हैं—सनी, बॉबी, अजीता, विजेता, ईशा और अहाना, साथ ही उनकी दोनों पत्नियाँ—प्रकाश कौर और हेमा मालिनी।
