दुनिया के शीर्ष नेता इस सप्ताहांत दक्षिण अफ्रीका की आर्थिक राजधानी जोहान्सबर्ग में G20 शिखर सम्मेलन के लिए एकत्र हो रहे हैं। यह पहली बार है कि किसी अफ्रीकी देश में G20 सम्मेलन आयोजित हो रहा है। हालांकि, मेज़बान देश पर श्वेत समुदाय के साथ दुर्व्यवहार के झूठे आरोपों को लेकर अमेरिका की अनुपस्थिति इस आयोजन पर छाप छोड़ रही है।
सम्मेलन में लगभग 42 देश और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भाग ले रही हैं, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिका—जो दक्षिण अफ्रीका की मेज़बानी को लेकर आलोचनात्मक रहा है—शामिल नहीं होगा। अमेरिका, जो G20 का संस्थापक सदस्य है, जल्द ही दक्षिण अफ्रीका से अध्यक्षता संभालने वाला है। राष्ट्रपति सिरिल रामाफ़ोसा ने कहा है कि आवश्यकता पड़ने पर वे खाली कुर्सी को प्रतीकात्मक रूप से अध्यक्षता सौंप देंगे।
रामाफ़ोसा का कहना है कि अमेरिका ने अंतिम क्षण में किसी स्तर पर भागीदारी पर चर्चा की है, हालांकि विवरण साझा नहीं किए गए। कुछ ही घंटों बाद व्हाइट हाउस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति की टिप्पणियाँ “अनुचित” और “अस्वीकार्य” हैं। साथ ही यह भी संकेत दिया गया कि पदभार ग्रहण समारोह में अमेरिका का एक अधिकारी मौजूद रहेगा—संभवत: कार्यवाहक राजदूत मार्क डी. डिलार्ड।
अमेरिकी भागीदारी को लेकर जारी विवाद के बावजूद, जोहान्सबर्ग पूरे सप्ताह सम्मेलन की तैयारियों से गुलज़ार रहा। शहर में सफ़ाई, सजावट और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तेज़ी से काम हुआ है। कम से कम 3,500 अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और सेना को भी तैयार रखा गया है। हालांकि कई नागरिकों ने ऐसे महंगे आयोजन पर सवाल उठाए हैं, खासकर देश की आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए। जलवायु समूहों से लेकर महिला अधिकार संगठनों तक, कई प्रदर्शन भी प्रस्तावित हैं।
G20 की स्थापना 1999 में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के अनौपचारिक समूह के रूप में हुई थी, लेकिन 2008 की वित्तीय संकट के बाद इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई। समूह में 19 देश, यूरोपीय संघ और 2023 से अफ्रीकी संघ शामिल हैं—जो वैश्विक GDP का 85% और दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दक्षिण अफ्रीका नवंबर 2024 से G20 अध्यक्ष है और 30 नवंबर 2025 को यह जिम्मेदारी अमेरिका को सौंपेगा। इस बार का दो-दिवसीय सम्मेलन 22 नवंबर से जोहान्सबर्ग के 1.5 लाख वर्गमीटर में फैले नेसरेक एक्सपो सेंटर में आयोजित होगा।
सम्मेलन में भाग लेने वालों में चीन के प्रीमियर ली कियांग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जर्मनी के चांसलर फ़्रेडरिक मर्ज़, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ शामिल हैं।
अमेरिका इस वर्ष G20 शिखर सम्मेलन का बहिष्कार क्यों कर रहा है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सम्मेलन में शामिल न होना सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है, जिससे दक्षिण अफ्रीका की मेज़बानी और शिखर बैठक का एजेंडा प्रभावित होने की आशंका है।
पिछले सप्ताह, ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका की G20 अध्यक्षता की आलोचना करते हुए घोषणा की कि वे सम्मेलन में नहीं जाएंगे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अल्पसंख्यक के खिलाफ भेदभाव और श्वेत किसानों के “नरसंहार” जैसे दावे किए—जो विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा खारिज किए जा चुके हैं।
ट्रंप ने ऐसे दावे जनवरी में दोबारा सत्ता में आने के बाद कई बार किए हैं, खासकर उस नए भूमि-सुधार कानून के बाद जिसे दक्षिण अफ्रीका ने पास किया है। देश की 75% कृषि भूमि अब भी श्वेत अल्पसंख्यक के पास है, और यह कानून असमानता कम करने के उद्देश्य से लाया गया है।
फरवरी में, ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली विदेशी सहायता भी रोक दी थी—विशेषज्ञों के अनुसार यह देश के HIV उपचार कार्यक्रम पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
मई में व्हाइट हाउस में हुए एक टकराव भरे संवाद में राष्ट्रपति सिरिल रामाफ़ोसा ने “व्हाइट जेनोसाइड” के दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका में अपराध दर सामान्य रूप से ऊँची रहती है और सभी समुदाय इससे प्रभावित होते हैं।
जुलाई में ट्रंप ने कहा था कि वे शायद सम्मेलन में न आएँ, लेकिन उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस को भेज देंगे। हालांकि, 8 नवंबर को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर यह कहते हुए अपना रुख और कड़ा कर दिया कि दक्षिण अफ्रीका में “मानवाधिकार उल्लंघन” हो रहे हैं और कोई भी अमेरिकी अधिकारी G20 में भाग नहीं लेगा।
ट्रंप ने लिखा: “यह पूरी तरह शर्मनाक है कि G20 दक्षिण अफ्रीका में हो रहा है। जब तक ये मानवाधिकार हनन जारी रहेंगे, कोई अमेरिकी प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा। मैं 2026 में मियामी में G20 मेज़बानी करने की प्रतीक्षा कर रहा हूँ।”
दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों ने अमेरिकी बहिष्कार को कम महत्व देने की कोशिश की है। केप टाउन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए रामफ़ोसा ने कहा कि इस फैसले का कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका G20 में नहीं आ रहा, लेकिन बहिष्कार कभी कारगर नहीं होते—वे उल्टा असर डालते हैं।”
एक अन्य टिप्पणी में उन्होंने इसे “अमेरिका की हानि” बताया।
साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि वे प्रतीकात्मक रूप से अमेरिकी प्रतिनिधि की खाली कुर्सी को ही अध्यक्षता सौंप देंगे और वाशिंगटन के साथ संबंध सुधारने की आवश्यकता पर बल दिया।
