नई दिल्ली:
दिल्ली में 10/11 को हुए ब्लास्ट की जांच में बेहद गंभीर जानकारी सामने आई है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी डॉ. मुज़म्मिल शकील ने कबूल किया है कि वह पिछले दो वर्षों से देशभर में विस्तृत धमाका योजना पर काम कर रहा था। मुज़म्मिल, आत्मघाती हमलावर उमर मोहम्मद के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक था।
लक्ष्य था कई शहरों में सीरियल ब्लास्ट, रेड फोर्ट के पास हुआ धमाका सिर्फ ‘पैनिक डेटोनेशन’
जांच में पता चला है कि रेड फोर्ट के पास i20 कार में हुआ विस्फोट असल में बड़ी साजिश का छोटा हिस्सा था। यह ब्लास्ट अचानक सक्रिय हो गया, जबकि असली योजना कई शहरों में एक साथ धमाके करने की थी। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हुई थी।
दो साल में जुटाया विस्फोटक सामग्री का बड़ा जखीरा
NIA के अनुसार, डॉ. मुज़म्मिल पिछले दो वर्षों में लगातार विस्फोटक तैयार करने के लिए सामान जुटा रहा था। उसने:
- यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट जैसे रसायन खरीदे
- 26 क्विंटल NPK खाद गुरुग्राम और नूंह से ₹3 लाख में खरीदी
- इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स फरीदाबाद के दो मार्केट से लिए
- रसायनों को सुरक्षित रखने के लिए डीप फ्रीज़र खरीदा
- यूरिया पीसने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक फ्लोर मिल भी बरामद हुई है
इस दौरान उमर मोहम्मद विस्फोटकों के लिए आवश्यक प्रोसेसिंग का काम संभालता था।
ब्लास्ट मॉड्यूल ने खुद जुटाए 26 लाख रुपये
जांच में पता चला है कि यह पूरी साजिश सेल्फ-फंडेड थी। आरोपियों ने मिलकर 26 लाख रुपये इकट्ठा किए:
- उमर मोहम्मद – ₹2 लाख
- डॉ. मुज़म्मिल – ₹5 लाख
- आदिल राथर – ₹8 लाख
- मुज़फ़्फ़र राथर – ₹6 लाख
- लखनऊ के शाईन सईद – ₹5 लाख
धन को लेकर उमर और मुज़म्मिल के बीच अल-फलाह यूनिवर्सिटी में विवाद भी हुआ था।
AK-47 सौदा और तुर्की यात्रा का खुलासा
पूछताछ में यह भी सामने आया है कि:
- मुज़म्मिल ने 6.5 लाख रुपये में एक AK-47 खरीदी, जो आदिल के लॉकर से मिली
- उनके हैंडलर मंसूर और हाशिम थे, जो उच्च स्तर के व्यक्ति इब्राहिम के निर्देशों पर काम करते थे
- तीन आरोपी — मुज़म्मिल, आदिल और मुज़फ़्फ़र — TTP से जुड़े व्यक्ति ‘ओकासा’ के कहने पर तुर्की भी गए थे
- योजना के तहत उन्हें अफ़गानिस्तान ले जाया जाना था, लेकिन आखिरी समय में हैंडलर पीछे हट गया
इंटरनेट से सीखा बम बनाना
जांच एजेंसियों ने पाया है कि उमर ने इंटरनेट पर मौजूद वीडियो और मैनुअल देखकर बम तैयार करने की प्रक्रिया सीखी थी।
एजेंसियों का मानना है कि यह मामला मल्टी-लोकेशन सीरियल ब्लास्ट नेटवर्क से जुड़ा है, जिसमें विदेशी संगठनों का लिंक भी जांच के दायरे में है।
फिलहाल, उमर की मौत के बाद बाकी आरोपी NIA की हिरासत में हैं और जांच कई अहम सुरागों पर आगे बढ़ रही है।
