एयर इंडिया ने 2024–25 में 3,976 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया, एयर इंडिया एक्सप्रेस को 5,832 करोड़, अकासा एयर को 1,986 करोड़ और एलायंस एयर को 691 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
जब यात्री IndiGo की उड़ानों के रद्द होने और भारी देरी से जूझ रहे हैं, लोकसभा में पेश सरकारी आँकड़े एक सख्त सच्चाई सामने लाते हैं — भारत का उड्डयन क्षेत्र फिलहाल गंभीर घाटे में चल रहा है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की लिखित रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में बड़े एयरलाइनों में सिर्फ IndiGo ने लाभ कमाया, वह भी ₹7,253 करोड़ का।
इसके विपरीत:
- एयर इंडिया: ₹3,976 करोड़ का घाटा
- एयर इंडिया एक्सप्रेस: ₹5,832 करोड़ का घाटा
- आकासा एयर: ₹1,986 करोड़ का नुकसान
- अलायंस एयर: ₹691 करोड़ का घाटा
- स्पाइसजेट: ₹56 करोड़ की हानि
- स्टार एयर: ₹68 करोड़ का मामूली लाभ
पिछले वर्षों में भी तस्वीर कमतर नहीं थी।
2022-23 में एयरलाइंस का कुल घाटा ₹18,600 करोड़ के पार चला गया था।
हालाँकि 2023-24 और फिर 2024-25 में IndiGo ने बड़ा सुधार दिखाया, लेकिन अधिकांश एयरलाइंस लगातार नुकसान में रहीं।
मांग बढ़ी, लेकिन मुनाफ़ा नहीं
देश में हवाई यात्रा की माँग तेज़ी से बढ़ रही है —
2024-25 में घरेलू यात्रियों की संख्या 7.7% बढ़कर 16.55 करोड़ पहुँच गई,
लेकिन उच्च लागत, भारी कर्ज और परिचालन चुनौतियों ने एयरलाइंस को मुनाफ़े से दूर रखा है।
IndiGo संकट का प्रभाव और तेज़
IndiGo के पास घरेलू बाज़ार का लगभग 65% हिस्सा है।
इसलिए क्रू की कमी और नई ड्यूटी-टाइम नियमों से पैदा हुआ हालिया ऑपरेशनल संकट सीधे तौर पर यात्रियों पर भारी पड़ा —
हज़ारों उड़ानें रद्द हुईं, किराए आसमान छूने लगे और बड़े शहरों के एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी बढ़ती गई।
सरल शब्दों में, भारत की उड्डयन प्रणाली की रीढ़ वर्तमान में IndiGo ही है, और उसकी किसी भी दिक्कत का असर पूरे उद्योग और यात्रियों पर त्वरित रूप से पड़ रहा है।
