हैदराबाद विश्वविद्यालय के ज़ेनिथ एस्ट्रोनॉमी क्लब ने 3 सितंबर 2025 को स्कूल ऑफ़ फ़िज़िक्स स्थित मैरी क्यूरी सेमिनार हॉल में एक दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों, शोधार्थियों और संकाय सदस्यों को खगोल भौतिकी और खगोल विज्ञान में हो रहे समकालीन अनुसंधानों से अवगत कराना था।
उद्घाटन सत्र में सहयोगी प्रोफेसर और संकाय समन्वयक डॉ. अशोक वुडयागिरि ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किए।
पहला व्याख्यान IIT हैदराबाद के डॉ. मयुख पहाड़ी ने “ब्लैक होल खगोल विज्ञान में अत्याधुनिक शोध” विषय पर दिया। उन्होंने ऑप्टिकल, पराबैंगनी और एक्स-रे तरंगदैर्घ्यों पर आधारित आधुनिक अध्ययनों, ब्लैक होल एक्रिशन प्रक्रियाओं, सापेक्षतावादी जेट्स और इवेंट होराइज़न के समीप क्षेत्रों की जांच करने वाली उन्नत वेधशालाओं की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही, उन्होंने अवलोकन तकनीकों और उन भौतिक प्रक्रियाओं को भी रेखांकित किया जो तारकीय खगोल भौतिकी को ग्रह प्रणाली निर्माण से जोड़ती हैं।
दूसरा व्याख्यान BITS पिलानी, हैदराबाद की प्रो. सर्मिष्ठा बनिक ने “न्यूट्रॉन तारों के अवलोकनात्मक पहलू और पल्सर टाइमिंग” विषय पर प्रस्तुत किया। प्रो. बनिक ने न्यूट्रॉन तारों को सघन पदार्थ और प्रबल गुरुत्वाकर्षण सिद्धांतों की जांच के अद्वितीय प्रयोगशालाओं के रूप में वर्णित किया। उन्होंने पल्सर टाइमिंग की तकनीकों और इनके माध्यम से न्यूट्रॉन तारों की आंतरिक संरचना को समझने की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। व्याख्यान में न्यूक्लियर एस्ट्रोफिज़िक्स और गुरुत्वाकर्षण तरंग खगोल विज्ञान के साथ इसके अंतर्विषयक संबंधों को भी रेखांकित किया गया।
अंतिम व्याख्यान IIT हैदराबाद की शोधार्थी सुश्री मेघा टोमर ने “ग्रहमंडल खोज की कला: एक्सोप्लैनेट खोज की विधियाँ” शीर्षक से दिया। उन्होंने ट्रांज़िट पद्धति, रेडियल वेग तकनीक और डायरेक्ट इमेजिंग जैसे प्रमुख तरीकों की व्याख्या की। साथ ही, उच्च-सटीक उपकरणों और डेटा विश्लेषण की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने चंद्रयान-3 रोवर मॉडलिंग से जुड़ी अपनी शोध गतिविधियों का भी उल्लेख किया और बताया कि ग्रह विज्ञान कैसे आधुनिक अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पूरे सत्र के दौरान छात्रों और शोधार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और प्रश्नोत्तर में गहरी रुचि दर्शाई। कार्यक्रम का समापन वक्ताओं और प्रतिभागियों के प्रति आभार के साथ हुआ। इस व्याख्यान श्रृंखला ने अग्रणी खगोल भौतिकी क्षेत्रों पर वैज्ञानिक जागरूकता बढ़ाने और अकादमिक संवाद को प्रोत्साहित करने के अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा किया।
