एनसीपी (अजित पवार गुट) के एक और विधायक पर कोर्ट का फैसला, राजू कारेमोरे को दोषी मानते हुए दो साल की सशर्त राहत
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के भंडारा जिले के विधायक राजू कारेमोरे एक पुराने मामले में दोषी पाए जाने के बाद चर्चा में आ गए हैं। पुलिस से गाली-गलौज के इस मामले में अदालत ने उन्हें दोषी तो माना, लेकिन साथ ही दो वर्षों तक शालीन आचरण बनाए रखने की शर्त पर सशर्त रिहाई दे दी। इसी फैसले के तहत कारेमोरे के साथ उनके चार सह-आरोपियों को भी बांड पर मुक्त किया गया है।
इसी बीच, पार्टी के ही मंत्री मानिकराव कोकाटे को नासिक जिला सत्र न्यायालय ने एक अन्य मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा को बरकरार रखा है। इससे कोकाटे की मंत्री पद और विधायकी पर संकट गहरा गया है। ऐसे समय में राजू कारेमोरे से जुड़ा यह फैसला सामने आने से राष्ट्रवादी कांग्रेस एक बार फिर विवादों में आ गई है।
कोर्ट का फैसला क्या रहा?
भंडारा की तुमसर-मोहाडी विधानसभा सीट से विधायक राजू कारेमोरे के मामले की सुनवाई भंडारा जिला सत्र न्यायालय (द्वितीय श्रेणी) की न्यायाधीश भारती काले ने की। अदालत ने उन्हें आईपीसी की धारा 143, 294 और 504 के तहत दोषी माना, जबकि धारा 353 से उन्हें बरी कर दिया गया।
हालांकि, अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि कारेमोरे एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं और उनके साथ अन्य चार आरोपियों का सामाजिक आचरण अब तक ठीक रहा है। इसी आधार पर कोर्ट ने सभी को दो साल के लिए बांड पर रिहा करते हुए सख्त चेतावनी दी कि वे इस अवधि में किसी भी प्रकार के विवाद या झगड़े से दूर रहें और एक जनप्रतिनिधि को शोभा देने वाला व्यवहार करें।
पूरा मामला क्या है?
यह मामला 31 दिसंबर 2021 का है। उस दिन विधायक राजू कारेमोरे के मित्र यासीन छवारे और उनके तीन साथी वरठी से कारेमोरे से मिलकर तुमसर की ओर जा रहे थे। इसी दौरान मोहाडी-तुमसर मार्ग पर नगर पंचायत चुनाव के स्ट्रॉंग रूम के पास कुछ पुलिसकर्मियों ने उनकी गाड़ी रोककर मारपीट की और 50 लाख रुपये लूटने का आरोप लगाया गया।
इस घटना के बाद आक्रोशित होकर उसी शाम राजू कारेमोरे मोहाडी पुलिस थाने पहुंचे, जहां उन्होंने पुलिसकर्मियों के साथ अश्लील गाली-गलौज की। इसके बाद पुलिस ने विधायक और उनके चार साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। 3 जनवरी 2022 को सभी आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया था।
अंतिम निर्णय
लंबी सुनवाई के बाद इस मामले का अंतिम फैसला अब सामने आया है। अदालत ने दोष सिद्ध होने के बावजूद सुधार का मौका देते हुए सशर्त राहत दी है। साथ ही यह स्पष्ट किया है कि यदि आगामी दो वर्षों में शर्तों का उल्लंघन हुआ, तो आरोपियों पर फिर से सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
