प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के स्पेस सेक्टर में आ रहे तेज बदलावों को भारत में चल रही व्यापक स्टार्टअप क्रांति से जोड़ा और कहा कि जब भी भारत कोई नया अवसर खोलता है, देश की युवा पीढ़ी—खासकर जेन-ज़ी—उत्साह के साथ आगे बढ़कर राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखती है।
वे गुरुवार को हैदराबाद में स्काईरूट एयरोस्पेस के ‘इन्फिनिटी कैंपस’ का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन कर रहे थे।
युवा स्टार्टअप्स बना रहे हैं नया प्राइवेट स्पेस युग
प्रधानमंत्री ने बताया कि आज देश में 300 से अधिक स्पेस स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं, जिन्होंने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नई ऊर्जा भरी है। उन्होंने कहा कि कई स्टार्टअप्स कुछ युवाओं द्वारा छोटे-से किराए के कमरे से शुरू हुए, जिनके पास सीमित संसाधन थे, लेकिन उड़ान भरने का जज़्बा अपार था।
इसी भावना ने भारत में प्राइवेट स्पेस रिवॉल्यूशन को जन्म दिया है। आज देश के युवा इंजीनियर, डिज़ाइनर, कोडर और वैज्ञानिक उन्नत प्रणालियों पर काम कर रहे हैं—चाहे वो प्रपल्शन हो, कंपोज़िट मैटेरियल्स हों, रॉकेट स्टेजेज़ हों या सैटेलाइट प्लेटफॉर्म्स। ये क्षेत्र कभी भारतीय स्टार्टअप्स के लिए कल्पना से परे थे।
जेन-ज़ी स्टार्टअप बूम का केंद्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्पेस सेक्टर की यह तेजी भारत में पिछले दशक में उभर रहे स्टार्टअप बूम का हिस्सा है। देश की नई पीढ़ी—विशेष रूप से जेन-ज़ी—फिनटेक, एग्रीटेक, हेल्थटेक, क्लाइमेटटेक, एजु-टेक और डिफेंस-टेक जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नई सोच के साथ समाधान तैयार कर रही है।
उन्होंने जेन-ज़ी की “रचनात्मकता, सकारात्मक सोच और क्षमता” की सराहना की और कहा कि भारत के युवा दुनिया के युवाओं को प्रेरित करने की ताकत रखते हैं।
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम
उन्होंने बताया कि भारत आज 1.5 लाख से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप्स के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। कई यूनिकॉर्न कंपनियाँ भी इसमें शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले स्टार्टअप्स कुछ चुनिंदा बड़े शहरों तक सीमित थे, लेकिन अब वे छोटे कस्बों और गाँवों से भी उभर रहे हैं, जो नई पीढ़ी के आत्मविश्वास को दर्शाता है।
PM मोदी ने किया विक्रम-1 का अनावरण
उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री ने स्काईरूट के पहले ऑर्बिटल रॉकेट ‘विक्रम-I’ का भी अनावरण किया, जो सैटेलाइट्स को कक्षा में भेजने की क्षमता रखता है।
स्काईरूट का यह अत्याधुनिक कैंपस करीब दो लाख वर्ग फुट में फैला है, जहाँ एक महीने में एक ऑर्बिटल रॉकेट बनाने, डिज़ाइन करने, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग की क्षमता उपलब्ध होगी।
स्काईरूट की स्थापना आईआईटी से पढ़े और इसरो में काम कर चुके पवन चंदना और भरत ढाका ने की थी। कंपनी ने 2022 में भारत का पहला प्राइवेट सब-ऑर्बिटल रॉकेट ‘विक्रम-एस’ लॉन्च किया था।
