केरल की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है, क्योंकि बीजेपी ने पहली बार तिरुवनंतपुरम नगर निगम में Mayor पद पर जीत दर्ज की है। शुरुआती दिसंबर में हुए चुनावों में बीजेपी ने 101 में से 50 सीटें जीतकर चौंकाने वाला प्रदर्शन किया था। शुक्रवार दोपहर वी वी राजेश ने तिरुवनंतपुरम के मेयर के रूप में शपथ ली, जिसे केरल की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल माना जा रहा है।
शपथ के तुरंत बाद राजेश ने कहा, “हम सबको साथ लेकर आगे बढ़ेंगे। सभी 101 वार्डों में विकास होगा और तिरुवनंतपुरम को एक विकसित शहर के रूप में बदलेंगे।”
यह जीत उस राज्य में खास है जहाँ बीजेपी अभी तक सत्ता में नहीं आई है और जहां उसका अब तक का राजनीतिक प्रभाव बेहद सीमित रहा है। पार्टी के इतिहास में केरल में केवल एक बार विधायक (2016 में ओ. राजगोपाल) और एक बार सांसद (2024 में सुरेश गोपी) चुने गए हैं।
मेयर चुनाव में राजेश को कुल 51 वोट मिले, जो 100-सदस्यीय सदन में बहुमत का आंकड़ा पार करते हैं। सीपीएम के आर पी शिवाजी को 29 और कांग्रेस-यूडीएफ के के एस सबरीनाथन को 19 वोट मिले। एक निर्दलीय ने मतदान से दूरी बनाई। हालांकि इस चयन के दौरान पार्टी के भीतर ही खींचतान देखने को मिली और पूर्व डीजीपी आर. श्रीलेखा के नाम को लेकर विवाद हुआ, लेकिन अंततः आरएसएस के समर्थन से राजेश के नाम पर सहमति बनी।
पार्टी नेताओं ने कहा कि उनकी प्राथमिकता तिरुवनंतपुरम का बुनियादी ढांचा सुधारना है—ड्रेनेज, पानी, कचरा प्रबंधन जैसे मुद्दों पर तुरंत काम शुरू होगा। बीजेपी का लक्ष्य शहर को भारत के शीर्ष तीन शहरों में शामिल करने का है।
नगर निगम चुनावों का यह परिणाम अगले विधानसभा चुनावों से पहले वाम मोर्चा सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “ऐतिहासिक क्षण” बताते हुए कार्यकर्ताओं के प्रयासों को सराहा।
