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कुपोषण से बालमृत्यु, रोहित पवार का सरकार पर हमला

कुपोषण से ही हो रही हैं बच्चों की मौतें! करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी आखिर किसका पोषण हो रहा है? रोहित पवार का तीखा हमला, बच्चों के हिस्से का घी-मक्खन खाने वालों की जांच की मांग।

Rohit Pawar: बाल मृत्यु के मुद्दे पर रोहित पवार का सरकार पर तीखा हमला

राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने बाल मृत्यु के मुद्दे को लेकर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कुपोषण ही बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। रोहित पवार ने सवाल उठाया कि जब हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, तो आखिर इस पैसे से किसका पोषण हो रहा है? इसी सवाल के साथ उन्होंने राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला।


रोहित पवार ने क्या कहा?

रोहित पवार ने कहा कि राज्य में पिछले तीन वर्षों में करीब 14,500 बच्चों की मौत केवल कुपोषण के कारण हुई है, जो महाराष्ट्र जैसे राज्य के लिए बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि कुपोषण दूर करने के नाम पर सरकार हर साल भारी भरकम राशि खर्च कर रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत नहीं बदल रही।

उन्होंने मांग की कि सरकार इस पूरे मामले की निष्पक्ष और गहन जांच कराए और बच्चों के हिस्से का पोषण हड़पने वालों के असल चेहरे जनता के सामने लाए


सिर्फ लिखित जवाब, ज़मीनी कार्रवाई नहीं

रोहित पवार ने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार विधानसभा सत्रों में कुपोषण से होने वाली मौतों का मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार की ओर से सिर्फ लिखित जवाब देने के अलावा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई
उन्होंने अपील की कि सरकार अब संवेदनशीलता दिखाए और उन बच्चों की जान बचाने के लिए ठोस कदम उठाए, जो दुनिया देखने से पहले ही इस दुनिया से चले जा रहे हैं।


विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री की स्वीकारोक्ति

इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने विधानसभा में जानकारी देते हुए स्वीकार किया कि 2022-23 से 2024-25 के बीच महायुति सरकार के कार्यकाल में राज्य में कुपोषण के कारण 14,526 बाल मृत्यु हुई हैं।

उन्होंने बताया कि ये मौतें मुंबई, पुणे, छत्रपति संभाजीनगर, नागपुर, अमरावती, अकोला और यवतमाल जिलों में 0 से 5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की हैं। यह जानकारी विधानसभा में पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में दी गई।

सरकार का कहना है कि कुपोषण रोकने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद स्थिति गंभीर बनी हुई है। इसी को लेकर विधायकों स्नेहा दुबे, मनोज जामसुतकर और चेतन तुपे ने सवाल उठाया था कि क्या कुपोषण से बाल मृत्यु की संख्या बढ़ रही है।

स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि कुपोषण के कारण 14,526 बाल मृत्यु दर्ज की गई हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 2030 के अनुसार नवजात शिशु मृत्यु दर को प्रति हजार 12 से कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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