ट्रंप-समर्थित युद्धविराम के कुछ सप्ताह बाद एक थाई सैनिक और चार कंबोडियाई नागरिकों की हत्या के बाद तनाव फिर बढ़ गया।
थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ अपने विवादित सीमा क्षेत्र में हवाई हमले शुरू कर दिए हैं, क्योंकि दोनों देशों ने एक-दूसरे पर डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कराए गए युद्धविराम समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
नए सिरे से भड़की हिंसा में चार कंबोडियाई नागरिकों और कम से कम एक थाई सैनिक की मौत हो गई है, जबकि लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।
थाई सेना का कहना है कि सोमवार सुबह सीमा पर हुए संघर्ष में एक सैनिक की मौत और चार के घायल होने के बाद हवाई हमले किए गए। थाई वायुसेना ने दावा किया कि वह कई क्षेत्रों में सैन्य ठिकानों को निशाना बना रही है और कंबोडिया भारी हथियार तैनात कर रहा है तथा लड़ाकू दस्तों को आगे बढ़ा रहा है।
कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया कि तनाव बढ़ाने की शुरुआत थाईलैंड ने की है। मंत्रालय ने कहा कि सोमवार को थाई सेना ने उसके सैनिकों पर हमला किया और कंबोडिया ने कई दिनों से जारी भड़काऊ गतिविधियों के बावजूद कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की।
कंबोडिया के सूचना मंत्री ने बताया कि ओदार मींचे और प्रीह विहार प्रांतों में चार नागरिक मारे गए।
छह सप्ताह पहले, ट्रंप की मध्यस्थता में जुलाई में छिड़े पाँच दिवसीय युद्ध को रोकने के लिए युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। उस संघर्ष में कम से कम 48 लोगों की मौत हुई थी और 3 लाख लोग पलायन के लिए मजबूर हुए थे।
युद्धविराम के बावजूद तनाव कम नहीं हुआ। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया, और नवंबर में थाईलैंड ने घोषणा कर दी कि वह इस समझौते को निलंबित कर रहा है।
कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री हुन मानेट के पिता, हुन सेन ने सेना को संयम बरतने को कहा और चेतावनी दी कि थाईलैंड उन्हें उकसाकर प्रतिक्रिया दिलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी प्रतिक्रिया की सीमा तय है। मैं सभी स्तरों के कमांडरों से अपील करता हूँ कि वे अपने अधिकारियों और सैनिकों को इसी अनुसार निर्देश दें।”
थाई प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नवीराकुल ने कहा कि थाईलैंड हिंसा नहीं चाहता और उसने संघर्ष की शुरुआत नहीं की। उन्होंने कहा, “लेकिन थाईलैंड अपनी संप्रभुता के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा और शांति, सुरक्षा व मानवता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाएगा।”
थाई अधिकारियों के अनुसार, चार प्रांतों में सीमा के निकटवर्ती इलाकों से 3.85 लाख से अधिक लोगों को निकासी का आदेश दिया गया है। सोमवार सुबह तक करीब 35,000 लोग सरकारी शिविरों में दर्ज किए गए, जबकि कई अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण लिए हुए हैं।
कंबोडिया के सूचना मंत्रालय के अनुसार, सीमा पार कंबोडियाई इलाकों से भी लोग पलायन कर रहे हैं और 1,157 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, जिन्होंने मूल युद्धविराम समझौते में मदद की थी, ने दोनों देशों से तनाव ना बढ़ाने की अपील की और चेतावनी दी कि संघर्ष बढ़ने से दोनों देशों के बीच संबंध स्थिर करने में की गई मेहनत बेकार जा सकती है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष “अधिकतम संयम बनाए रखें, संवाद जारी रखें और उपलब्ध तंत्रों का पूरा उपयोग करें।”
तनाव मई से बढ़ा, जब एक विवादित क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई और एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हुई। इसके बाद दोनों सरकारों के बीच कई बार पलटवार की घटनाएँ हुईं, जो जुलाई में संघर्ष में बदल गईं। बाद में ट्रंप, मलेशिया और चीन की मध्यस्थता के बाद युद्धविराम लागू हुआ, जिसमें ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि शांति न होने पर व्यापार वार्ता रोक दी जाएगी।
लेकिन यह व्यवस्था बेहद नाज़ुक साबित हुई। पिछले महीने थाईलैंड ने युद्धविराम को निलंबित कर दिया और कंबोडिया पर सीमा पर नए लैंडमाइन्स बिछाने का आरोप लगाया—एक विस्फोट में एक थाई सैनिक का पैर उड़ा।
कुछ दिनों बाद एक कंबोडियाई नागरिक की मौत हुई और तीन लोग घायल हुए, जब दोनों देशों ने एक-दूसरे पर गोलीबारी शुरू करने का आरोप लगाया।
उस समय ट्रंप ने इन घटनाओं को कम महत्व देते हुए कहा था कि उन्होंने “टैरिफ का इस्तेमाल करके युद्ध रुकवाया” और सब ठीक हो जाएगा।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह सीमा विवाद सौ साल से भी ज़्यादा पुराना है, जब फ्रांस ने 1953 तक कंबोडिया पर कब्ज़ा किया हुआ था और उसी दौरान जमीन की सीमाओं का नक्शा तैयार किया गया था।
817 किमी लंबी यह सीमा पहले भी कई बार राष्ट्रीयतावादी भावनाओं के कारण हिंसा का कारण बन चुकी है।
