नई दिल्ली:
इंडिगो की लगातार दो दिनों में 500 से ज़्यादा उड़ानें रद्द होने के बाद केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा है कि फ्लाइट शेड्यूल शनिवार से स्थिर होना शुरू हो जाएगा और अगले तीन दिनों में, यानी सोमवार तक, स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाने की उम्मीद है।
मंत्री ने जानकारी दी कि इस बड़े व्यवधान पर उच्चस्तरीय जांच बैठाई जाएगी और जिम्मेदारी तय की जाएगी। उनके बयान के कुछ ही मिनटों बाद DGCA ने 4 सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश जारी किया, जो देरी और कैंसिलेशन की पूरी परिस्थितियों की जांच करेगी।
क्यों हुआ इतना बड़ा संकट?
DGCA ने कहा कि एयरलाइंस को नए Flight Duty Time Limitations (FDTL) नियमों का पालन करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था, फिर भी इंडिगो ने नवंबर में सबसे अधिक कैंसिलेशन किए, जो एयरलाइन की आंतरिक तैयारी और अनुपालन में बड़ी खामियों की ओर इशारा करता है।
पायलटों की ड्यूटी टाइम सीमा में ढील
DGCA ने FDTL नियमों में अस्थायी बदलाव किए हैं — जैसे पायलटों की लगातार उड़ान भरने की सीमा 12 से बढ़ाकर 14 घंटे करना।
विपक्ष और कुछ विशेषज्ञों ने इस कदम की आलोचना की थी, लेकिन मंत्री नायडू ने कहा:
“यह निर्णय केवल यात्रियों के हित में लिया गया है। सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।”
यात्रियों के लिए राहत के उपाय
सरकार और DGCA ने एयरलाइंस को कई निर्देश दिए हैं:
- रियल-टाइम अपडेट्स यात्रियों को समय पर दिए जाएं।
- कैंसिल उड़ानों का रिफंड ऑटोमैटिक जारी हो।
- लंबे समय तक फंसे यात्रियों के लिए होटल व्यवस्था की जाए।
- वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग यात्रियों को विशेष प्राथमिकता, लाउंज एक्सेस और हर संभव सहायता मिले।
- सभी प्रभावित यात्रियों को रिफ्रेशमेंट और जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएँ।
जांच क्या देखेगी?
उच्चस्तरीय समिति यह जांचेगी:
- इंडिगो में ऐसा क्या हुआ कि इतने बड़े स्तर पर उड़ानें प्रभावित हुईं
- किस स्तर पर लापरवाही या कमियाँ रहीं
- भविष्य में ऐसी स्थिति को कैसे रोका जाए
